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यज्ञ की रासायनिक शोध के परिणाम

श्रीमती मीनाक्षी रघुवंशी ने अपनी स्नातकोत्तर शोधग्रंथ “Some Investigations into Chemical and Pharmaceutical Aspects of Yagyopathy: Studies in Pulmonary Tuberculosis.” में इन्हेलेशन थेरेपी में प्रयोग होने वाले फाईटोकेमिकल्स के साथ आयुर्वेदिक वनौषधियों का क्षय रोग के कुछ केसों में औषधीय परीक्षणों के साथ वर्णन किया है। इस रासायनिक अध्ययन से प्राप्त कुछ मुख्य तथ्य इस प्रकार है:


  1. कुछ एरोमैटिक योगिक एवं निम्न फैटी एसिड्स यज्ञ की औषधीय धूम्र ऊर्जा के साथ चारो तरफ फ़ैल जाते हैं, जो कि कोलाइडल वाहन का कार्य करते हैं।

  2. वसायुक्त पदार्थों के दहन से कई हाइड्रोकार्बंस तथा दूसरे रसायन जैसे ग्लिसरौल, एसीटोन बोड़ीज़, पईरूविक एल्डीहईड्स, ग्लाईकोल, ग्लाईक्सोल आदि प्राप्त होते हैं जो कि अधिकतर एंटीबैक्टेरियल होते हैं।

  3. यज्ञ में जिन जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया गया, उनमें सौ से भी अधिक ऐसे फाईटोकेमिकल्स पाये गए जो कि महत्वपूर्ण ऐंटीमाइक्रोबियल क्रिया दिखाते हैं।

  4. यज्ञ के धुएँ में पाए जाने वाले लगभग 20 फाइटोकेमिकल्स में क्षय रोग से लड़ने की क्षमता होती हैं ।

  5. यज्ञ के धुएँ में पाए जाने वाले अनेक तारपीन जैसे बोर्नोल, गेरेनिओल, निरोल, तेर्पेनोल इत्यादि में माइको बैक्टेरिया (क्षय ) निरोधक क्षमता होती हैं।

  6. माइकोबैक्टेरियम वाले सैम्पल के कल्चर करने पर 8 सप्ताह में भारी वृद्धि देखी गयी।

  7. प्रयोग के सैम्पल पर साधारण लकड़ी का धुँआ डाला गया और फिर कल्चर करने पर 8 सप्ताह में 15% की कम वृद्धि देखी गयी।

  8. माइकोबैक्टेरियम वाले दूसरे सैम्पल पर यज्ञ का धुँआ डाला गया और फिर कल्चर करने पर 8 सप्ताह में 75 – 80% की कम वृद्धि देखी गयी।

अधिक जानकारी के लिये पढे:


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