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Natural Medicine

Testimonials

Personal Experiences Shared

यज्ञ द्वारा किया कैंसर रोग का उपचार , श्रीमती सुनैना शर्मा, न्यू अशोक नगर नई दिल्ली

श्रीमती सुनैना शर्मा, उम्र 55 वर्ष, न्यू अशोक नगर, नई दिल्ली की निवासी हैं। सन 2011 में वह कैंसर से पीड़ित हुई थीं। उन्होंने अपना कैंसर का इलाज एलोपैथिक दवाइयों द्वारा करवाया, परंतु कई वर्ष इलाज कराने के पश्चात भी बीमारी में कोई आराम नहीं मिला ।  दिन प्रतिदिन उनका स्वास्थ्य गिरता गया। वजन में कमी आती गई, भूख प्यास खत्म हो गई एवं रात की नींद भी नहीं आती थी। कैंसर के कारण दर्द भी शरीर में बहुत रहता था। हॉस्पिटल में जब सारे इलाज समाप्त हो गए , तब डॉक्टरों ने जवाब दे दिया।  सुनैना जी बिस्तर पर आ गई। डॉक्टरों ने कहा कि अब इन्हें घर ले जाइए।  इनका समय लगभग समाप्त हो गया है। इनके परिवार वाले इनको घर ले गए। तब इनका यज्ञ द्वारा इलाज प्रारंभ किया गया। विशेष औषधियों द्वारा  यज्ञ किया गया और उसके चमत्कारिक प्रभाव इनके ऊपर शीघ्र ही दिखाई पड़ने लगे। 15 दिनों में बिस्तर पर उठने बैठने लगी और एक माह में थोड़ा बहुत चलने भी लगी। धीरे धीरे शरीर में ताकत आती चली गई और 1 वर्ष के अंदर यह अपना सारा काम स्वयं करने लगी। आज 10 वर्ष होने के पश्चात भी पूरी तरह से स्वस्थ हैं।  इन्होंने यज्ञ द्वारा कैंसर को ठीक कर दिखाया है।

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यज्ञ की भस्म का प्रयोग, डा. श्रीमती गायत्री कुमावत, प्रताप गढ़, राजस्थान

मेरे बाल बहुत ज्यादा झड़ते  थे । मैंने सब कुछ उपचार करके देख लिया, परंतु किसी से भी फायदा नहीं दिखा। तब मैंने यज्ञ की भस्म को मटके के पानी में रात में मिलाकर रखा और अगले दिन उस पानी को दिन में तीन चार बार पिया। उसका असर मुझे बहुत शीघ्र ही दिखाई पड़ा। 2 दिन में लगभग 90% बालों का झड़ना रुक गया था। इसको मैंने कई दिन तक जारी रखा और बालों का झड़ना पूर्णतः रुक गया। यदि हम भस्म को ऐसे ही खा ले तो इतना फायदा नहीं होगा जितना कि उसको पानी में मिलाकर रख कर पीने से फायदा होता है।

 

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यज्ञ का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव, श्रीमती रीमा, इंग्लैंड

इंग्लैंड आने के कुछ वर्षों के पश्चात मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने लगा । मुझे कभी-कभी एंग्जाइटी और डिप्रेशन भी होता था । जब मुझे घबराहट लगती थी तो मेरा किसी काम को करने में मन नहीं लगता था। मेरे घर का वातावरण भी उससे प्रभावित होने लगा था । फिर मैंने यज्ञ का सहारा लिया । मैंने नियमित रूप से घर में अग्निहोत्र करना शुरू किया और उसके नतीजे मुझे अत्यंत उत्साहवर्धक मिले । मैंने देखा कि मेरी एंग्जाइटी शीघ्र ही काफी कम हो गई थी। डिप्रेशन में भी मुझे आश्चर्यजनक रूप से आराम मिला। अब मेरे घर का माहौल पॉजिटिव रहता है । आजकल  के करोना के माहौल में हम सभी सुरक्षित रहे और हमें  विश्वास है कि आगे भी हम इस बीमारी से बचे रहेंगे। मैं यज्ञ के बाद थोड़ी देर बैठ कर उसी माहौल में प्राणायाम अवश्य करती हूं और मुझे लगता है कि उस वातावरण में प्राणायाम करने से ही स्वास्थ्य संवर्धन की प्रक्रिया होती है क्योंकि प्राणायाम के द्वारा हम नासिका से यज्ञ की औषधि धूम्र अंदर खींचते हैं। यह धूम्र हमारे शरीर के अंदर जाकर रक्त में मिल जाती है और फिर पूरे शरीर में एक एक कोशिका में पहुंच जाती है। इसी के द्वारा हमारा स्वास्थ्य संवर्धन शीघ्र अति शीघ्र हो जाता है।

 

 

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पिंकी गुप्ता जी, पटना, बिहार

मार्च 2018 में मेरे यूट्रस में प्रॉब्लम डिटेक्ट हुई । जिसमें पता लगा कि मेरे यूट्रेस में सिस्ट और फाइब्रॉयड है, जिसके कारण डॉक्टर ने कहा कि अगर हैवी ब्लीडिंग नहीं रुकेगी तो आपके यूट्रस को सर्जरी के द्वारा निकालना पड़ेगा। फिर भी  डॉक्टर ने कहा कि अभी थोड़ा रुक कर देखते हैं और मेरी दवा चलने लगी। मेडिसिन से कुछ विशेष फायदा नहीं हुआ।

मैंने दिसम्बर २०१९ से  रोज़ यज्ञ करना प्रारम्भ कर दिया। कुछ दिनों  बाद ही मैं अपने -आप नॉर्मल होती चली गई ,  तो डॉक्टर ने कहा कि रिपोर्ट में प्रॉब्लम तो दिख रही हैं लेकिन आपको चूंकि  कोई प्रॉब्लम नहीं है  तो  मैं दवा नहीं देती ।  हर तीन महीने पर अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट लेकर डॉ. मुझे बुलाती थी। मेरी प्रॉब्लम तो अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में यथावत ही दिखती थी|  उस में कमोबेश थोड़े -बहुत ऊपर -नीचे रिजल्ट्स होते थे। लेकिन मैं निरंतर यज्ञ करती रही। यज्ञोपैथी जानने वाले एक भैया की सलाह के अनुसार मैंने अजवाइन ,तेजपत्ता ,दालचीनी, लौंग- इलायची डालकर यज्ञ करना आरम्भ किया |  यही कारण रहा कि जुलाई 2020 में मेरे पूरे  परिवार को कोविड-पोजिटिव  होने पर भी हम लोगों को कोई  भी प्रॉब्लम नहीं हुई । कोविड के कोई भी लक्षण नहीं आये । यह यज्ञ का ही प्रभाव था। इस प्रकार  नित्य  नैनो यज्ञ करने से न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य में बल्कि मानसिक विचारों में भी बहुत सारे सकारात्मक परिवर्तन आ रहे हैं। यज्ञ की महिमा जो हमारे सनातन धर्म में बताई गई है, मैं  उसको अपने यहाँ साक्षात परिलक्षित होते देख रही हूँ।

यज्ञ करने के  पश्चात मैं नित्य उसी कमरे में नाड़ी शोधन प्राणायाम, सूर्य नमस्कार आसन भी करती आ रही हूँ जिससे कार्यरत होने के बाद भी मैं  अपने को पूरे दिन ऊर्जावान और उत्साहित महसूस करती हूँ।

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यज्ञ की भस्म का कृषि पर प्रभाव - 1, ममता सक्सेना जी, नई दिल्ली

 

यह ऊपर चित्र मेरे घर में लगे अनार के पेड़ का है। पिछले 3 वर्ष इसमें एक भी फूल नहीं आया था । पिछले वर्ष पूरे सीजन में 3- 4 फूल आए जिनमें तीन चार अनार निकले। फिर मैंने यज्ञ की राख इस पौधे के चारों तरफ डाली और इस वर्ष अभी तक लगभग 70 -75 फूल पेड़ों पर आ गए हैं । यह हवन का चमत्कार साक्षात दिख रहा है।

यज्ञ की भस्म में तो मिनरल्स होते ही हैं परंतु उसमें यज्ञ की ऊर्जा भी निहित होती है । उसको डालने से पौधों की ग्रोथ बहुत अच्छी हो जाती है ।

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यज्ञ की भस्म का कृषि पर प्रभाव - 2, अनीता पांडे जी, कलकत्ता

 

मैंने नियमित रूप से पौधों के पास यज्ञ धूम्र रखा और यज्ञ भस्म पानी मे मिला कर पानी मे डाला , जिसके फलस्वरूप पौधों मे बहुत अच्छी बढ़त देखी गई , साथ ही फल भी अच्छी गुणवत्ता के आए ।  चुकुंदर, टमाटर और गाजर भी साइज़ मे बड़े और स्वादिष्ट है । मैं नियमित रूप से इन पौधों के समक्ष गायत्री मंत्र का जप करती हूँ । सभी पौधे प्रसन्न नजर आते है ,शायद इसी का प्रतिफल वे उत्तम फल देकर कर रहे है  ।

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Tastiers & Healthier Fruits with Yagya Ash :

I’m Sudhansh Verma & I reside in Ireland. My passion is gardening & I have grown several fruit trees like Pear, Cherry, and Plum & Apple in my back garden. I perform yagya daily & use the ash in manuring all the trees. My Family & friends strongly believe that fruits from trees manured with yagya are more delicious & much sweeter in taste in comparison to normal trees.

Name-Sudhanshu Verma,

Place- Ireland

 

Story of a Psychotherapist who believes in actual trying before trusting blindly in anything is now a staunch believer of the wonders of Yagyopathy & has helped several people to reap the benefits of Yagyoapthy

At the age of 30, I was diagnosed with cervical spondylitis, Doctors had prescribed to wear color constantly. I was also suffering with Lumber pain due to disc prolapsed therefore was advised to wear belt constantly. To top on all this I was also diagnosed with mitral valve prolapse in the heart. I suffered with lots of restrictions on movements, diet and with many do’s and don’ts. for 14 years. Then I came in contact with AWGP. I was attracted towards Sadhna and Yagyopathy. First I learnt Agnihotra from another institute and yagya from Gayatri pariwar. I started practicing Agnihotra daily during sunrise and sunset. Immediately after Agnihotra mantras, I used to give 24 Gayatri mantra oblations and  5 mahamrityunjay oblations . Then practice pranayam and Jap sadhna.

Now at the age of 62, I'm free without color, belt. And my echo cardiogram gave the report “ No history of valve prolapse is seen" . Now I can sit on the floor hours together. No back pain. Agnihotra has become a daily routine. 

Name- T. Rajeshwari

Place-Kolkata
 

Experiences as shared by Dr. Rajeshwari who has cured several incurable diseases with the help of Yagyopathy. She’s a renowned Psychotherapist & nutritionist by profession. She resides in Kolkata, India

 

I have a special inclination towards knowing the scientific aspects of Spirituality & I was fortunate enough to got  a hold of Gayatri Mahavigyan book authored by Pandit Sriram Sharma Acharya- Spritual scientist of this era. While reading I came across the section elucidating the effects of yagya on poison- it states that “ yagya done with Peepal samidhas, can cure even scorpion sting”  I collected the bhasma ( ashes) of yagya done with Peepal samidhas. Once I got stung with bumble bee &  my husband was stung by  honey bee, we experienced the intolerable  burning and swelling, I applied the ash which I had collected  & it worked miraculously - within an hour the swelling got reduced & pain got subsided.

Years later, a mother came to me with her 3 years son having a peculiar complaint who used to get whole body swollen once any black ant bites him.  He was completely cured by simply applying the yagya  bhasma. This very incidence further strengthened my belief on the therapeutic effects of Yagya Bhasma.

Brahamvarchas is the research wing of the Shantikunj, Haridwar where several experiments are continuously being conducted for establishing the solutions for curing chronic diseases etc.  Disease specific special Havan samgri are formulated post extensive studies & experiments. I also bought havan samagri for Rheumatism; I came across a lady suffering with swollen joints, including fingers. She was very much interested to adopt Yagyopathy as a line of treatment so daily in the early morning I started conducting therapeutic yagya for her using rheumatism havan samagri, with Surya Gayatri Mantra oblation, and pranayam after each Oblation.  Within 3 months she got relieved from her pain, surprisingly not to get the pain back again, living happily married.

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मेरा नाम सर्वेश कुमार साहू है, रांची झारखण्ड से हूँ / मुझे तनाव तथा मानसिक पीड़ा 1 वर्ष से हो रही थी / में बहुत ज्यादा मन में विभिन्न प्रकार के व्यर्थ विकल्पों से ग्रसित था / कार्य में मन नहीं लगता था / यज्ञोपैथी चिकित्सा 29 जनवरी से 20 फ़रवरी तक नियमित रूप से लेने लगा / मेरे अंदर सकारात्मक के भाव आने लगे /

अभी मानसिक तनाव बहुत कम हुआ है!

सर्वेश कुमार साहू

ग्राम + पोस्ट रेलाडीह

थाना बुंडू

जिला रांची

पिन कोड - 835204

मोबाइल न. 7250277764

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प्रणाम, मेरा नाम शिवम् भक्तराज है, में झारखण्ड के रांची का रहने वाला हूँ / कुछ दिनों पहले में अवसाद से ग्रसित था कभी कभी नींद नहीं आती थी एवं शरीर में हमेशा कमजोरीरहती थी तथा कोई भी कार्य में मन नहीं लगता था ऐसा लगभग एक सप्ताह तक रहा / इसके बाद मेने "यज्ञोपैथी" विधि से उपचार लगभग एक सप्ताह तक करवाया और मेरी यहबिनारी पूरी तरह ख़त्म हो गई /

नाम - शिवम् भक्तराज

पता - रांची, झारखण्ड

दिनांक – 3/11/2018

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मेरा नाम रश्मि प्रिय है, में रांची की रहने वाली हूँ / में अपने कुछ अनुभव सबसे शेयर करना चाहती हूँ /

मेरी शादी को ७ साल हुए है , दो बच्चे हे मेरे / मै अपने सिर के समस्या से बहुत परेशान रहती थी / कही भीड़ में जाना, धुप देखकर सिर घूमना, बच्चों का चिल्लाना बर्दास्त नहींहोता था / अकेले कही जाने का हिम्मत नहीं होता था / तुरंत में घबरा जाना हताश हो जाना, धड़कन बढ़ जाना, ऐसे ही समस्या से मै अपने में ही परेशान रहती थी / मन की संतुष्टिके लिए डॉक्टर के पास गई /

रांची का बहुत बड़ा फेमस डॉकटर के. के. सिन्हा एक दिन दवा खाई, दिन भर सोई रही, दूसरे दिन तो ऐसा लगा, होश में ही नहीं हूँ, सपने में जी रही / दवा तुरंत छोड़ दी / पहले सेऔर परेशान हो गई / फिर गायत्री परिवार से सुनता रंजन जी ने मुझे यज्ञोपैथी चिकित्सा का विवरण दिया / ४० दिन का अवसाद जड़ी बूटी का उपचार बताया / उन्होंने जैसा खावैसा किया मैंने / दशहरा का समय था / मै तो कितने साल से दशहरा में घूमने नहीं गई अपनी सिर के कारण / दो दिन हवं किया और ........ और सप्तमी, अष्टमी, दशमी में पूराघूमकर आई, मजे में भीड़ के अंदर, शोर, बच्चों का चिल्लाना सब के साथ / घर आई तो सोच में पड़ गई, अरे ये मै कोई सपना तो नहीं देख रही / मुझे इतनी ख़ुशी हुई की मेरी आँखोंमें आँसू आ गए / अब में अपने परिवार के साथ बहुत ख़ुशी के साथ रह रही हूँ , घर - बाहर सब काम कर रही / ये सब गुरुदेव जी का आशीर्वाद और सुनीता रंजन आंटी का प्यार है, जो मै आज हूँ /

मो. 8918850097

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