यज्ञ के बारे में कहा जाता है कि उसके धुएँ से वायु प्रदूषण दूर होता है, परंतु यज्ञ के दौरान निकलते हुए धुए को देख कर ये सवाल आपके मन भी उठते होंगे की इतना सारा धुआँ जो निकल रहा है ये तो खुद ही प्रदूषण करेगा, उसे ठीक कैसे करेगा । प्रचलित मान्यताओं के अनुसार किसी भी धुएँ को छोड़ने से वह स्थान कीटाणु निरोधक हो जाता है और कीटाणु व कीड़े- मकौड़े भाग जाते हैं तो फिर यज्ञ मे ऐसा क्या खास है?
इसी को देखने के लिए भारत सरकार की एक वरिष्ठ अधिकारी, श्रीमती ममता सक्सेना ने सेंट्रल पोल्लुशन कंट्रोल बोर्ड के साथ मिलकर 2 प्रयोग किए ।
एक स्थान पर देसी घी और हवन सामग्री व मंत्रो के साथ विधिवत हवन किया और उसी समय दूसरे स्थान पर सामान्य लकड़ियाँ जलायीं गयीं । दोनों स्थानों पर वायुमंडल की एक दिन पूर्व बैक्ग्राउण्ड की सैमपलिंग की , हवन वाले दिन और एक दिन बाद वायुमंडल मे व्याप्त कीटाणुओं की संपलिंग के गयी तो नतीजे काफी चौंकाने वाले थे |
यज्ञ मे देखा गया कि जहाँ पर यज्ञ किया गया था वहाँ एक दिन पहले की तुलना मे यज्ञ वाले दिन व उसके बाद दूसरे दिन बैकटीरिया की संख्या मे 40% व 21% कमी देखी गयी, वही जहाँ पर साधारण धुआँ किया गया था वहाँ 81% और 111% की बढ़ोत्तरी देखी गयी. इसी प्रकार फंगस की कीटाणुओं मे भी देखा गया कि यज्ञ वाले स्थान पर तो 37% व 16% कमी हुई थी परंतु साधारण धुएँ वाले स्थान पर उनमे 71% व 257% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी थी ।


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